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गीता प्रेस, गोरखपुर >> शरणागतिरहस्य

शरणागतिरहस्य

मथुरानाथ शास्त्री

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 948
आईएसबीएन :00000

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हम जब तक अपने अंहकार में विश्वास रखते हैं, तब तक हमें अपनी क्षुद्रता लगातार व्यथित करती है। पर एक बार जब हम इस पंचतत्त्व शरीर और त्रिगुणातीत मन, बुद्धि को छोड़कर भगवान की शरणागति में जाते हैं, तब हमें ऐसे रहस्य उद्घाटित होते हैं जिनका रोमाञ्च कुछ विशेष ही होता है।

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