गजलें और शायरी >> परिन्दे क्यों नही लौटे परिन्दे क्यों नही लौटेकृष्णानन्द चौबे
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अगर सूरज के दिल में आग है तो खुद झुलस जाये ज़मीं पर आग बरसाना हमें अच्छा नहीं लगता
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