कहानी संग्रह >> मोहन चोपड़ा की श्रेष्ठ कहानियाँ मोहन चोपड़ा की श्रेष्ठ कहानियाँसुनील चोपड़ा (संपादक)
|
80 पाठक हैं |
हैडमास्टर कहने लगा, ‘‘हमारी तरह के इन प्राइवेट स्कूलों में कोई हमेशा पक्का नहीं होता। मेरी अपनी बात ले लो, आज मैं इस पोज़ीशन में हूँ, न मालूम कल मैनेजिंग कमेटी में कैसी हवा चले और मैं बाहर कर दिया जाऊँ।’’
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: 10page.css
Filename: books/book_info.php
Line Number: 569
|
लोगों की राय
No reviews for this book