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इतिहास और राजनीति >> भारत की एकता का निर्माण

भारत की एकता का निर्माण

सरदार पटेल

प्रकाशक : प्रकाशन विभाग प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :350
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 62
आईएसबीएन :

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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण


तो एक चीज तो हमें वही करनी है, जो गान्धी जी चाहते हैं। वह यह कि इस तरफ हिन्दोस्तान में कोई गड़बड़ न करो। पाकिस्तान में कुछ हो, तो उसका बदला हम इधर न लें। बुरी चीज में मुकाबला न करो भली चीज़ में मुकाबला करो। गान्धीजी जितना कहते हैं, अगर वहाँ तक नहीं जा सके, तो जो मैं कहता हूँ और जवाहरलाल कहता है, वहाँ तक तो चलो। गान्धी जी के साथ तो आप जाकर नहीं बैठ सकते हो, मैं भी नहीं बैठ सकता हूँ। मैं भी कहता हूँ कि मुझे राज्य चलाना है, बन्दूक रखनी है, तोप रखनी है, आर्मी रखनी है। गान्धी जी कहते हैं कि कोई न करो। तो वह मैं नहीं कर सकता हूँ। और मुझे ऐसी आर्मी रखनी है, जिससे हमारे सामने कोई नज़र न रख सके, इस तरह की मजबूत आर्मी मुझे रखनी है। नहीं तो मुझे इधर से हट जाना चाहिए। मुझे यह चीज़ नहीं चाहिए। क्योंकि मैं तीस करोड़ का ट्रस्टी हो गया हूँ। मेरी जिम्मेवारी है कि मैं सबकी रक्षा करूँ। तो इस तरह मुझे करना है। गान्धी जी जिस तरह करना चाहते हैं उस तरह तो मैं नहीं कर सकता। लेकिन गान्धी जी भी यह अच्छी तरह समझते है, मै' उनको भी कहता हूँ कि भाई, मैं तो हुकूमत लेकर बैठा हूँ। मेरे पर हमला होगा मैं उसे बर्दाश्त नहीं करूँगा। क्योंकि मेरी जिम्मेवारी है। वह समझते है कि यह ठीक कहता है। यह हँसने की बात नहीं है। मैंने बार-बार उनके साथ बात की है। उन्होंने मुझसे कहा, ''मैं तो ऐसे ही करूँगा। आप अपने रास्ते चलिए। मेरा रास्ता अच्छा है, यह मैं जानता हूँ।''

मैंने कहा-''मैं भी जानता हूँ कि आपका रास्ता अच्छा है। लेकिन वहाँ तक मैं नहीं जा पाता हूँ।''
लेकिन जो रास्ता इधर बताया जाता है कि हिन्दू वहाँ से निकाले जाएँ, तो उतने मुसलमान इधर से निकालने ठीक नहीं हैं। और यह भी है कि लड़ना हो, तो लड़ाई का मैदान और लड़ाई का मौका होना चाहिए। सब चीज हमारे साथ होनी चाहिए। हमारे पास लड़ाई का सामान पूरा होना चाहिए, कि घाटा न पड़े। यह सब चीज ठीक करके काम करना चाहिए। तो गवर्नमेंट जो पार्टी चलाती है, वह तरीके से काम करती है। पागलों की तरह काम करेगी, तो हार जाएगी। तो यह चीज़ करने की है कि यह जो हमारा हिन्दुस्तान है, उसमें अब कोई गड़बड़ न करो। मेहरबानी करके अब हमको काम करने का मौका दो। अब 50 लाख तो हम निकाल लाए। जो चन्द २५,३० हजार आदमी फ्रांटियर में पड़े हैं और सात-आठ लाख सिन्ध में पड़े हैं उनको आराम से ले आने की मेरी कोशिश है। इसमें तकलीफ तो पड़ेगी। क्योंकि पत्थर के नीचे हमारा हाथ पड़ा है। तो कुछ ठीक तरह से संभाल कर निकालना है। उतना निकल जाए, तो पीछे कोई झगड़ा हमें नहीं रहता।

अब हमें हिन्दोस्तान की हिफाजत के लिए फौज रखनी होगी। और अगर आर्मी मजबूत न हो तो हिन्दुस्तान, आप समझ लीजिए कि, खत्म हो जायगा। तो मजबूत फौज तो हमें रखनी होगी। मजबूत फौज रखनी पड़ी, तो फौज के पीछे कितनी चीजें चाहिएं, उसका नक्शा आप के सामने होना चाहिए। और यह न हो तो फौज रखने की बातें बेकार हैं। बहुत-से लोग मुझसे कहते हैं कि भर्ती क्यों नहीं करते हो। हम भर्ती में आने के लिए तैयार हैं। लेकिन मैं भर्ती करके क्या करूँ? जितनी भर्ती करूँ, उसके पीछे कितनी चीज़ें चाहिए, उसका तो आपको ख्याल नहीं है। क्योंकि खाली आदमी भर्ती करने से काम नहीं होता। हिन्दुस्तान की पिछली सरकार ने पिछली लड़ाई में २५ लाख आदमी भर्ती में लिए थे। लेकिन करोड़ों-अरबों रुपयों का खर्च हुआ था। जब लड़ाई चलती थी तो एक घंटे की स्ट्राइक भी किसी कारखाने में नहीं हो सकती थी। और यह सब लोग जो आज स्ट्राइक की बात करते हैं, उन दिनों नहीं कर सकते थे।

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    अनुक्रम

  1. वक्तव्य
  2. कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
  3. लखनऊ - 18 जनवरी 1948
  4. बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
  5. बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
  6. दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
  7. दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
  8. दिल्ली - 18 फरवरी 1948
  9. पटियाला - 15 जुलाई 1948
  10. नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
  11. गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
  12. बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
  13. नागपुर - 3 नवम्बर 1948
  14. नागपुर - 4 नवम्बर 1948
  15. दिल्ली - 20 जनवरी 1949
  16. इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
  17. जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
  18. हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
  19. हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
  20. मैसूर - 25 फरवरी 1949
  21. अम्बाला - 5 मार्च 1949
  22. जयपुर - 30 मार्च 1949
  23. इन्दौर - 7 मई 1949
  24. दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
  25. बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
  26. कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
  27. दिल्ली - 29 जनवरी 1950
  28. हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950

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