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सुनहरी भोर का सपना

भगवतीलाल व्यास

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :12
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6165
आईएसबीएन :81-237-4732-2

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पोकरण पीछे छूट गया था। बस जैसलमेर की तरफ बढ़ रही थी। सुबह का समय था। हवा में ठंडक थी। कई बरसों बाद इस बरस पानी बरसा था। हवा में ठंडक इसी कारण थी। जब पानी नहीं बरसता तो धोरों वाली यह धरती सुबह से ही आग उगलने लगती है।

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