कविता संग्रह >> चाँद का मुँह टेढ़ा है चाँद का मुँह टेढ़ा हैगजानन माधव मुक्तिबोध
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अगर किसी ने स्वयं मुक्तिबोध की जबानी उनकी कोई रचना सुनी हो तो..कविता समाप्त होने पर ऐसा लगता है कि जैसे हम कोई आतंकित करनेवाली फिल्म देखने के बाद एकाएक होश में आये हों।
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