कहानी संग्रह >> जीवन के कई रंग रे जीवन के कई रंग रेगुणमाला सोमाणी
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रात के दस बज रहे थे, पूर्णिमा का दिन था इसलिए पूर्णता को पहुँचता हुआ चन्द्रमा मन्दशील प्रकाश बिखेरता हुआ आकाश में दृष्टिगोचर हो रहा था।
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