पौराणिक >> पौलस्त्य पौलस्त्यश्रीनिधि सिद्धान्तालंकार
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वाल्मीकि-रामायण की यह गाथा उस प्रागैतिहासिक काल की प्रतीत होती है जब दक्षिण भारत का कोंकण-प्रदेश पर्वत-घाटियों, नद-नदियों, चट्टानों, महावनों और उनमें बसने वाले वन्य-पशु-पक्षियों से ही भरा था।
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