नाटक-एकाँकी >> नीलकंठ नीलकंठवृंदावनलाल वर्मा
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प्रस्तुत नाटक में एक ओर आधुनिक एवं प्राचीन संस्कृति का टकराव दृष्टिगत होता है तो दूसरी ओर व्यापक एवं सार्थक चिंतन भी पढ़ने को मिलता है।
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