गीता प्रेस, गोरखपुर >> गीता-चिन्तन गीता-चिन्तनहनुमानप्रसाद पोद्दार
|
175 पाठक हैं |
श्रीमद्भगवद्गीता साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख की वाणी है। इसमें सारे शास्त्रों का सार भरा हुआ है। इसकी महिमा अनन्त है हमारे शास्त्रों में इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। भिन्न-भिन्न रूचि और अधिकार रखने वाले मनुष्यों को उनकी योग्यता के अनुसार ही कर्तव्य कर्म में प्रवृत्त कर भगवान की ओर करा देना ही इसका मुख्य तात्पर्य है।
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: 10page.css
Filename: books/book_info.php
Line Number: 569
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book