गीता प्रेस, गोरखपुर >> एक नयी बात एक नयी बातस्वामी रामसुखदास
|
19 पाठक हैं |
गीता में जहाँ भगवान् ने कर्ममात्र की सिद्धि में अधिष्ठान, कर्ता, कारण, चेष्टा और दैव—ये पाँच हेतु बताये हैं, वहाँ शुद्ध आत्मा (चेतन)-को कर्ता माननेवाले की निन्दा की है...
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: 10page.css
Filename: books/book_info.php
Line Number: 569
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book