सामाजिक >> पार परे पार परेजोगिन्दर पाल
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काले पानी की पृष्ठभूमि में मनुष्यद्रोहिता और धर्मान्धता का जो आतंकवाद जीवन-मूल्यों को नष्ट करने पर उतारू है, उसे इस उपन्यास में रेखांकित किया गया है।
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